सब्सिडी की अदला-बदली : सरकार चाहती है लाभ, इंटेल चाहता है निवेश
व्हाइट हाउस ने मंगलवार को पक्का किया कि ट्रंप प्रशासन एक ऐसे समझौते पर काम कर रहा है जिसमें अमेरिकी सरकार को चिप बनाने वाली बड़ी कंपनी इंटेल में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी मिल सकती है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव करोलिन लेविट ने पत्रकारों से कहा, ‘‘राष्ट्रपति देश की सुरक्षा और आर्थिक भलाई के लिहाज से अमेरिका की जरूरतों को पहले रखना चाहते हैं।’’
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हावर्ड लुतनिक के अनुसार, होने वाले इस समझौते में इंटेल के शेयरों के बदले पहले से दिए गए सरकारी पैसों की अदला-बदली शामिल हो सकती है।
यह कदम इंटेल की मदद कर सकता है क्योंकि वह एनवीडिया, सैमसंग और टीएसएमसी जैसी कंपनियों से मुकाबला करने में संघर्ष कर रहा है, खासकर तेजी से बढ़ रहे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) चिप बाजार में। टिप्पणी के लिए बीबीसी ने इंटेल से संपर्क किया है।
लुतनिक ने मंगलवार को सीएनबीसी में कहा कि अमेरिका बाइडेन प्रशासन के दौरान दिए गए पैसों के बदले हिस्सेदारी चाहता है।हमें अपने पैसे के बदले में शेयर मिलने चाहिए। हमें इसके बदले इक्विटी (हिस्सेदारी) मिलेगी… सिर्फ पैसा देने के बजाय।
इस सौदे का मकसद अमेरिका के ओहायो राज्य में एक बड़े कारखाने के निर्माण में इंटेल की मदद करना है। उस समय व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया था कि जब तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं होती, तब तक इन रिपोर्टों को अटकल माना जाए।
पिछले सप्ताह इंटेल ने इस बारे में सीधे कुछ नहीं कहा था लेकिन यह जरूर कहा था कि वह अमेरिका में उत्पादन और टेक्नोलॉजी को मजबूत करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है।
सोमवार को जापान की बड़ी निवेश कंपनी सॉफ्टबैंक ने कहा कि वह इंटेल में 2 अरब डॉलर की हिस्सेदारी खरीदेगी।इस खबर के बाद कंपनी के शेयरों में करीब 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
इंटेल उन कुछ अमेरिकी कंपनियों में से है जो बड़े पैमाने पर ऊँचे स्तर के चिप बना सकती हैं, लेकिन कंपनी अब भी विदेशी कंपनियों से पीछे है।निवेश सलाहकार कंपनी जीरो वन के विन्सेंट फर्नांडो ने कहा कि अमेरिका में चिप बनाने में कंपनी की खास भूमिका को देखते हुए सरकार का इंटेल में हिस्सा लेना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका को चिप बनाने और रक्षा जैसे जरूरी उद्योगों की ज़रूरत है ताकि विदेशी सप्लायरों पर निर्भर न रहना पड़े।सरकारी पैसों को शेयर में बदलने का यह कदम इंटेल को सहारा दे सकता है लेकिन इससे उन कंपनियों के लिए अनिश्चितता बढ़ सकती है जो पहले से किसी सरकारी मदद कार्यक्रम का हिस्सा हैं या उसके बारे में सोच रही हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स सिडनी के केविन जे फॉक्स ने कहा कि वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान अमेरिकी सरकार ने कंपनियों में हिस्सेदारी ली थी।
लेकिन प्रोफेसर फॉक्स ने यह भी कहा कि इंटेल डूबने की हालत में नहीं है और सरकार की आंशिक हिस्सेदारी से कारोबार चलाना मुश्किल हो सकता है। यह अन्य कंपनियों को भी सरकारी मदद लेने से रोक सकता है।
व्हाइट हाउस द्वारा अमेरिकी चिप उद्योग की कड़ी जाँच के बाद यह घटनाक्रम सामने आया है।
पिछले सप्ताह एनवीडिया और एएमडी ने चीन को निर्यात की इजाज़त पाने के लिए एक अनोखे समझौते में अपने चीनी कारोबार का 15 प्रतिशत अमेरिकी सरकार को देने पर सहमति जताई थी।
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